
Cheque Bounce Rules
अगर आप बिज़नेस करते हैं या किसी को पेमेंट देने के लिए चेक इस्तेमाल करते हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। चेक बाउंस होना अब भी एक गंभीर मामला है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसमें कुछ राहत दी है। पहले जहां सीधा जेल भेजने की स्थिति बन जाती थी, अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि आरोपी को सुधार और सफाई का पूरा मौका मिलेगा। चलिए समझते हैं कि पूरा मामला क्या है और आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
अगर आप व्यापार करते हैं या व्यक्तिगत लेन-देन में चेक का उपयोग करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस से जुड़े मामलों पर बड़ा फैसला लिया है, जिससे अब सीधे जेल की सजा नहीं होगी। यह नया नियम 2025 से लागू हो गया है, जो लाखों लोगों को राहत देगा।
क्या होता है चेक बाउंस?
जब कोई व्यक्ति किसी को चेक देता है और वह बैंक में प्रस्तुत करने पर धन की कमी या अन्य कारणों से पास नहीं होता, तो इसे चेक बाउंस (Cheque Bounce) कहा जाता है। यह अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 138 के तहत आता है।
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पुराना नियम: सीधे जेल और जुर्माना
अब तक, चेक बाउंस होने पर सीधे अभियोजन की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी, जिसमें आरोपी को दो साल तक की जेल और आर्थिक जुर्माने का सामना करना पड़ता था। इस वजह से कई बार छोटे-मोटे विवाद भी अदालतों में लंबित रहते थे।
कौन-कौन सी धाराएं लागू होती हैं?
इस तरह के केस Negotiable Instruments Act, 1881 की धारा 138, 139 और 142 के तहत दर्ज होते हैं। इस कानून के अनुसार, दोषी पाए जाने पर आरोपी को दो साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। लेकिन अब कोर्ट ने ये भी कहा है कि जब तक अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक सीधी जेल की जरूरत नहीं है।
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कोर्ट सजा दे, तब क्या?
अगर कोर्ट से सजा मिल भी जाती है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आपको CrPC की धारा 374(3) के तहत 30 दिन के अंदर अपील का पूरा अधिकार है। साथ ही धारा 389(3) के तहत आप अपनी सजा को सस्पेंड कराने की मांग भी कर सकते हैं। यानी जब तक पूरा मामला खत्म न हो, तब तक आप बेल पर बाहर रह सकते हैं।
अगर आपसे चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?
सबसे पहले तो घबराएं नहीं। जिसको आपने चेक दिया है, उससे बात करें और मामला सुलझाने की कोशिश करें। अगर नोटिस आया है, तो 15 दिन के अंदर पेमेंट कर दें – इससे केस ही नहीं चलेगा और आप बड़ी मुसीबत से बच जाएंगे। हमेशा याद रखें, समय पर पेमेंट करना ही सबसे आसान तरीका है कानूनी कार्रवाई से बचने का।
चेक से जुड़ी कुछ जरूरी बातें
- हमेशा चेक देने से पहले अकाउंट में बैलेंस जरूर चेक करें।
- चेक भरते वक्त डेट, सिग्नेचर और अमाउंट बिल्कुल सही भरें।
- किसी भी चेक पर ओवरराइटिंग न करें।
- अगर चेक बाउंस हो जाए तो लीगल नोटिस को इग्नोर न करें।
- और सबसे जरूरी – अगर आपसे गलती हो भी गई है, तो कोर्ट में जाकर समय रहते मामला सुलझा लें।
नया नियम: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि:
अब चेक बाउंस के मामलों में सीधे जेल नहीं होगी।
पहले मध्यस्थता (मेडिएशन) या सुलह प्रक्रिया का रास्ता अपनाया जाएगा।
आरोपी को पहले समझौता करने का अवसर दिया जाएगा।
यदि समझौता नहीं होता, तभी कानूनी कार्रवाई होगी।
इस फैसले के फायदे:
1. न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम होगा
हर साल लाखों चेक बाउंस के मामले अदालतों में लंबित रहते हैं।
2. छोटे व्यापारियों को राहत
कई बार लेन-देन की गलतफहमी से मामले बढ़ जाते हैं।
3. समझौते की संभावना बढ़ेगी
दोनों पक्षों को आपसी सहमति से मामला सुलझाने का मौका मिलेगा।
क्या यह पूरी तरह से सजा खत्म कर देगा?
नहीं। यदि आरोपी जानबूझकर भुगतान नहीं करता या समझौते में सहयोग नहीं करता, तो अदालत द्वारा सजा दी जा सकती है। यह नियम केवल अनावश्यक गिरफ्तारी को रोकने के लिए है।
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निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह नया नियम न केवल न्याय व्यवस्था को त्वरित बनाएगा बल्कि लोगों को बिना वजह जेल जाने से भी बचाएगा। चेक बाउंस के मामले अब आपसी सहमति और समाधान की ओर बढ़ेंगे।